प्रस्तुत ग्रंथ ब्रज रस रसिक संप्रदाचार्य अनंत श्री विभूषित जगतगुरु श्री प्रियदर्शी महाराजजी द्वारा रचित है। भगवान को जीव कल्याण की बड़ी चिंता रहती है इससे वे कभी अपने श्रृंगार – नूपुर, कंकन आदि एवं अपने धाम में निवास करने वाले परिकरों को भेज कर हमारी कल्याण की व्यवस्था बनाते रहते हैं। भगवान श्री कृष्ण के नंद नामक वंशी के अवतार, श्री राधा नाम को प्रकट करने वाले गीत गोविंद (अष्ट पदी जो आज भी भगवान जगन्नाथ जी को सुनाई जाती है) के रचयिता श्री जयदेव महाप्रभु के अभिनयात्मक लीलाओं के माध्यम से श्री राधा तत्व से जुड़े हुए पद एवं साधना, भक्ति, लीलाओं को पढ़ने का आपको इसमें अवसर मिलेगा।
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Shri Jaydev Lilamrut
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प्रस्तुत ग्रंथ ब्रज रस रसिक संप्रदाचार्य अनंत श्री विभूषित जगतगुरु श्री प्रियदर्शी महाराजजी द्वारा रचित है। भगवान को जीव कल्याण की बड़ी चिंता रहती है इससे वे कभी अपने श्रृंगार – नूपुर, कंकन आदि एवं अपने धाम में निवास करने वाले परिकरों को भेज कर हमारी कल्याण की व्यवस्था बनाते रहते हैं
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